खाटूश्यामजी: इत्र और गुलाब के फूल चढ़ाने की परंपरा पर प्रशासन की अपील

 



सीकर (राजस्थान)। बाबा श्याम के दरबार में श्रद्धालुओं की आस्था का सैलाब हर दिन उमड़ता है। लाखों भक्त अपनी भावनाओं को इत्र और गुलाब जैसे प्रसाद के रूप में अर्पित करते हैं। लेकिन हाल के वर्षों में इन परंपराओं ने भक्तों के लिए परेशानी भी खड़ी कर दी है। इसी कारण अब जिला प्रशासन और मंदिर समिति ने भक्तों से एक खास अपील की है।

कलेक्टर मुकुल शर्मा की अपील

सीकर कलेक्टर मुकुल शर्मा ने देशभर से खाटूश्यामजी आने वाले भक्तों से कहा है कि वे मंदिर में कांच की इत्र की बोतलें लेकर न आएं। यदि श्रद्धालु इन्हें लाते भी हैं तो कृपया बाबा श्याम की ओर न फेंके।
कलेक्टर ने स्पष्ट कहा—

  • बोतलें फेंकने से कई बार भीड़ में खड़े श्रद्धालु घायल हो जाते हैं।

  • टूटी हुई कांच की शीशियों के टुकड़े पैरों में चुभ जाते हैं और भीड़ में भगदड़ की आशंका भी बढ़ जाती है।

इसी तरह, कांटेदार गुलाब के फूल भी परेशानी का कारण बनते हैं। भक्त दूर से फूल फेंकते हैं, जिनमें लगे कांटे दूसरे श्रद्धालुओं को चोट पहुँचा देते हैं।

मंदिर समिति का रुख

श्री श्याम मंदिर समिति ने भी कलेक्टर की अपील का समर्थन किया है। समिति का कहना है कि बाबा श्यामजी को श्रद्धा और भक्ति सबसे प्रिय है, न कि फूलों और इत्र की बोतलों के माध्यम से भक्ति का प्रदर्शन। समिति ने भक्तों से आग्रह किया है कि वे प्रसाद के रूप में सुरक्षित तरीके से चढ़ावा अर्पित करें और परंपराओं को इस तरह निभाएं कि किसी अन्य भक्त को परेशानी न हो।

परंपरा से आज तक

धार्मिक मान्यता है कि बाबा श्याम को फूल और इत्र बेहद प्रिय हैं। प्राचीन परंपराओं में जब बाबा की थाली में धूप रखी जाती थी, तब इत्र अर्पित किया जाता था। लेकिन आज लाखों श्रद्धालु 14 कतारों से होकर दर्शन करते हैं। भीड़ और दूरी की वजह से वे सीधे बाबा को चढ़ावा नहीं दे पाते और इत्र या गुलाब फेंकना शुरू कर देते हैं। यही परंपरा अब कई बार हादसों का कारण बन रही है।

क्यों ज़रूरी है बदलाव

  • बढ़ती भीड़ के बीच भक्तों की सुरक्षा सर्वोपरि है।

  • टूटी हुई बोतलें और कांटे न केवल चोट पहुँचाते हैं, बल्कि भीड़ में घबराहट फैला सकते हैं।

  • प्रशासन चाहता है कि श्रद्धालु सुरक्षित वातावरण में अपनी आस्था व्यक्त करें।

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