ब्रिज टू नोव्हेयर और अधूरे सपने: अजमेर के बुनियादी ढाँचे का संकट

ब्रिज टू नोव्हेयर और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स: अजमेर का इन्फ्रास्ट्रक्चर क्वालिटी संकट

अजमेर, 5 अक्टूबर 2025 - राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण राजनैतिक केंद्र अजमेर आज इन्फ्रास्ट्रक्चर की गुणवत्ता के गंभीर संकट से गुजर रहा है। हर केंद्रीय और राज्य सरकार में मंत्रिपद पाने वाले इस शहर के लिए यह स्थिति शर्मनाक है, जहाँ ₹243 करोड़ के रामसेतु एलिवेटेड रोड से लेकर बोराज डैम तक - हर प्रोजेक्ट में गुणवत्ता की कमी और प्रशासनिक लापरवाही दिख रही है।

राजनीतिक महत्व के बावजूद बदहाल इन्फ्रास्ट्रक्चर

अजमेर का राजनीतिक प्रभाव इस बात से समझा जा सकता है कि वर्तमान में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव अजमेर (अलवर) से हैं, जबकि लगातार दूसरी बार सांसद भगीरथ चौधरी केंद्रीय राज्य मंत्री बने हैं। अजमेर लोकसभा सीट पर 1989 से लेकर अब तक BJP का दबदबा रहा है, केवल 2009 में सचिन पायलट और 2018 में राघू शर्मा (उपचुनाव में) कांग्रेस की जीत के अपवाद रहे हैं।

राजस्थान विधानसभा में अजमेर जिले की 8 सीटों में से 7 पर BJP का कब्जा है। वासुदेव देवनानी (अजमेर नॉर्थ) लगातार 5वीं बार विधायक हैं और अब विधानसभा अध्यक्ष हैं, जबकि अनीता भादेल (अजमेर साउथ) लगातार 5वीं बार जीतकर महिला राजनैतिक शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।

RPSC: राजस्थान की नौकरी की राजधानी

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) का मुख्यालय अजमेर में होने से यहाँ लाखों युवाओं का आना-जाना लगा रहता है। 2025 में RPSC ने 574 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती निकाली है, जिससे अजमेर एक बार फिर राजस्थान के युवाओं की उम्मीदों का केंद्र बना है। लेकिन इतनी भीड़-भाड़ के बावजूद शहर का इन्फ्रास्ट्रक्चर इन चुनौतियों के लिए तैयार नहीं है।

रामसेतु: ₹243 करोड़ का सपना, कोर्ट का बंद

जुलाई 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों भूमि पूजन होने वाला रामसेतु एलिवेटेड रोड आज अजमेर की सबसे बड़ी बदनामी बन गया है। मई 2023 में खुला यह पुल जुलाई 2025 में पहली बारिश के साथ ही धराशायी हो गया। 

जिला कलेक्टर लोक बंधु ने स्वीकार किया कि "निर्माण की गुणवत्ता में स्पष्ट रूप से समझौता किया गया है।" शहरी विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एमएनआईटी की जांच टीम गठित की, लेकिन अरबों रुपये का नुकसान और जनता की परेशानी तो हो ही चुकी थी। मंत्री खर्रा जब 4 अक्टूबर को अजमेर पहुचे तो आम जन ने पूल की जो भुजा बंद है उससे लेकर जवाब किया , जिससे मंत्री भी हेरान रहे की 90 दिन होने के बावजूद अभी तक सर्वे कर पूल की वो  भुजा क्यों नही खोली गयी उन्होंने आश्वासन दिया की वो खुद एमएनआईटी बात करेंगे...

बोराज डैम: 4 सितंबर की दहशत

अजमेर की इन्फ्रास्ट्रक्चर त्रासदी में 4 सितंबर 2025 की रात बोराज तालाब की पाल टूटना एक और काला अध्याय था। रात 11:45 बजे तेज धमाके के साथ टूटी पाल ने स्वास्तिक नगर, भारत नगर, रावत नगर में 5-8 फीट पानी भर दिया। लोगों को नावों से रेस्क्यू करना पड़ा और गुस्साई भीड़ ने सड़क जाम कर प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन किया।

जिला कलेक्टर ने माना कि खतरे का अंदाजा था और 80 घरों को पहले ही खाली कराया गया था, फिर भी हादसा टालने में नाकाम रहे। यह प्रशासनिक लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है।

दरगाह शरीफ: विश्व धरोहर की उपेक्षा

अजमेर शरीफ दरगाह, जहाँ रोजाना 1,25,000 श्रद्धालु आते हैं और जो प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पाकिस्तान के पूर्व PM राजा परवेज अशरफ तक विश्व नेताओं की श्रद्धा का केंद्र है, वहाँ भी संरचनात्मक समस्याएं गंभीर हैं।

जुलाई 2025 में दो बार छत का हिस्सा गिरने के बाद नाजिम मोहम्मद बिलाल खान ने विवादास्पद नोटिस जारी कर कहा कि दुर्घटना की स्थिति में प्रशासन जिम्मेदार नहीं होगा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने PM मोदी को चिट्ठी लिखकर कहा है कि 500-600 साल पुरानी संरचनाएं ध्वस्त होने के कगार पर हैं। आगामी दिनों उर्स आने वाला है जिससे लेकर प्रशासन भी अलर्ट है पर दिककत यह भी है की इस दौरान कई वि आई पि मूवमेंट रहेगी , दरगाह कमेटी ने इस बार यह फेसला लिया है की झन्डा चढ़ने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी एवं मंत्री किरन रिजुजी व अन्य लोगो की चादर चढाई जाए ताकि बाकी दिन , आम जायरीनो को दिक्कत न हो ...

पुष्कर: पर्यटन स्वर्ग का इन्फ्रास्ट्रक्चर नरक

  • अपर्याप्त पर्यटक सुविधाएं और अनियंत्रित होटल व्यवसाय
  • 52 घाटों का खराब रखरखाव और स्वच्छता की कमी
  • संकरी गलियों में पार्किंग संकट और अग्निशमन सेवा की अनुपस्थिति
  • मानसून में गंदे पानी का पवित्र झील में मिलना
पुष्कर से विधायक एवं वर्तमान में मंत्री सुरेश सिंह रावत ने मंत्री रहते हुए अनेको ऐतिहासिक कार्यो की स्वीकृति जारी करवाई है जिस पर काम भी हो रहा है , जेसे पुष्कर रिवर फ्रंट - एवं घाटो से ब्रह्मा मंदिर कॉरिडोर आदि , इन कार्यो से एक आस तो जगी है की पुष्कर में जल्द ही सुधार देखने को मिलेगा .. 

वीवीआईपी मूवमेंट और जाम की विडंबना

अजमेर ऐसा शहर है जहां लगभग रोज़ाना वीवीआईपी मूवमेंट होते हैं। दargah शरीफ, पुष्कर मेले, आरपीएससी जैसी परीक्षाओं और राजकीय दौरों के कारण यहां लगातार बड़े स्तर पर सुरक्षा व्यवस्था और ट्रैफिक कंट्रोल की जरूरत होती है। लेकिन विडंबना यह है कि रोज़ाना वीवीआईपी आवाजाही के बावजूद अजमेर की सड़कें बदहाल हैं। जगह-जगह गड्ढे, फ्लाईओवर के अधूरे प्रोजेक्ट और ट्रैफिक मैनेजमेंट की कमजोर व्यवस्था नागरिकों के लिए भारी परेशानी का कारण बन रही है। सवाल यह उठता है कि जहां वीआईपी और प्रशासनिक गतिविधियां इतनी सक्रिय हों, वहां सड़क और यातायात जैसी बुनियादी सुविधाओं का हाल ऐसा क्यों है?

स्मार्ट सिटी का स्मार्ट भ्रष्टाचार

अजमेर को सितंबर 2016 में स्मार्ट सिटी मिशन में शामिल किया गया था। ₹1841 करोड़ के बजट के बावजूद परिणाम निराशाजनक हैं। सेवन वंडर्स पार्क ₹120 करोड़ में बनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तुड़वाना पड़ा क्योंकि यह पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करके बना था।

राजस्थान ACB की कार्रवाइयों में कई अधिकारियों के पास संदिग्ध संपत्ति मिली है:

  • जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के चीफ इंजीनियर के पास ₹6.25 करोड़ की संपत्ति
  • झालावाड़ ASP के वाहन से ₹9.35 लाख नकद बरामद
  • राजकंप अधिकारियों के पास लक्जरी कारें और संपत्तियां

राष्ट्रीय संदर्भ: भारत के गिरते पुल

अजमेर की समस्या अकेली नहीं है। 2025 में देशभर में कई बड़े पुल गिरे हैं:

  • 9 जुलाई: गुजरात के वडोदरा में गंभीरा ब्रिज में 22 मौतें
  • 15 जून: पुणे के पास इंद्रायणी नदी पर पुल गिरने से 4 मौतें
  • 23 मार्च: अहमदाबाद में बुलेट ट्रेन का गैंट्री गिरा

एक अध्ययन के अनुसार 1977 से 2017 तक भारत में 2,130 पुल गिरे हैं, जिनमें 80% प्राकृतिक आपदाओं और 10% निर्माण गुणवत्ता की कमी से गिरे।

समाधान की दिशा

तत्काल आवश्यक कदम:

  1. व्यापक तकनीकी ऑडिट
  2. एमएनआईटी की भागीदारी
  3. गुणवत्ता नियंत्रण
  4. जवाबदेही तय करना

दीर्घकालिक रणनीति:

  1. मास्टर प्लान
  2. धरोहर संरक्षण
  3. पर्यटन इन्फ्रास्ट्रक्चर
  4. सुरक्षा प्रोटोकॉल

निष्कर्ष: एक चुनौती, एक अवसर

अजमेर सिर्फ एक शहर नहीं है - यह राजस्थान की राजनीतिक प्रयोगशाला है, यह RPSC के जरिये लाखों युवाओं का केंद्र है, यह दरगाह शरीफ के रूप में भारत की धर्मनिरपेक्षता का प्रतीक है, और यह पुष्कर के माध्यम से देश की पर्यटन क्षमता का प्रतिनिधित्व करता है।

रामसेतु की विफलता, बोराज डैम का टूटना, दरगाह की संरचनात्मक समस्याएं - ये सब अजमेर की ही नहीं, बल्कि पूरे देश की इन्फ्रास्ट्रक्चर गुणवत्ता की समस्या को दर्शाते हैं। जब तक निर्माण में ईमानदारी, तकनीकी विशेषज्ञता और जवाबदेही नहीं आएगी, तब तक "ब्रिज टू नोव्हेयर" जैसे प्रोजेक्ट्स बनते रहेंगे।

रिपोर्टर नोट: यह विश्लेषण अजमेर की वर्तमान स्थिति, राजनीतिक महत्व और इन्फ्रास्ट्रक्चर संकट पर आधारित है। सभी तथ्य स्थानीय समाचार रिपोर्ट्स, सरकारी दस्तावेज और न्यायालयीन आदेशों से संकलित हैं।


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