संगठन सृजन की अग्निपरीक्षा: कांग्रेस जिलाध्यक्षों की नियुक्ति से पहले दिल्ली में 'मंथन', अजमेर के कई दिग्गज रेस से हो सकते हैं बाहर



 अजमेर/दिल्ली: प्रदेश कांग्रेस में बहुप्रतीक्षित ज़िलाध्यक्षों की नियुक्तियों को अंतिम रूप देने के लिए अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के निर्देश पर शुक्रवार को दिल्ली में 'संगठन सृजन अभियान' की अहम बैठक आयोजित की जा रही है। इस बैठक में राजस्थान के सभी शहर और देहात जिलाध्यक्षों के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों द्वारा सौंपे गए गोपनीय पैनल पर गहन मंथन किया जाएगा।

नियमों की सख्ती से दावेदारों में बेचैनी: पार्टी ने इस बार ज़िलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए दो कड़े मापदंड तय किए हैं:

  1. पार्टी में कार्य करने का कम से कम पाँच साल का अनुभव।

  2. अधिकतम आयु 50 वर्ष।

अगर AICC द्वारा निर्धारित इन नियमों का सख्ती से पालन किया गया, जैसा कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के 'गुजरात मॉडल' में देखने को मिला था, तो अजमेर शहर और देहात से कई दिग्गज और उम्रदराज दावेदार स्वतः ही इस दौड़ से बाहर हो सकते हैं।

डोटासरा की पसंद विकास चौधरी, पर अनुभव रोड़ा: भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार, अजमेर देहात कांग्रेस जिलाध्यक्ष के लिए प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा की पहली पसंद किशनगढ़ विधायक विकास चौधरी हैं। चौधरी युवा और ऊर्जावान होने के कारण एक मजबूत दावेदार हैं।

  • सबसे बड़ी चुनौती: विकास चौधरी के लिए सबसे बड़ा रोड़ा पार्टी में कार्य अनुभव बन रहा है। उन्हें अगले माह (नवंबर) में ही कांग्रेस में दो वर्ष पूरे होंगे, जबकि नियम पाँच साल के अनुभव की मांग करता है। यदि राहुल गांधी के 'गुजरात मॉडल' को अपनाया गया, तो युवा विकास चौधरी को भी इस रेस से बाहर होना पड़ सकता है।

दिल्ली में गहलोत गुट का डेरा, पायलट का वीटो पावर: बैठक से ठीक पहले गुरुवार को अजमेर के कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने दिल्ली में डेरा डाल दिया है। इनमें अधिकांश नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट के हैं। इन नेताओं ने प्रदेश प्रभारी सुखजिन्दर सिंह रंधावा और अजमेर आकर रायशुमारी करने वाले केंद्रीय पर्यवेक्षक अशोक तंवर सहित अन्य बड़े नेताओं से मुलाकात की।

सचिन पायलट का असर: कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का अजमेर की राजनीति पर 2009 से ही वीटो पावर माना जाता रहा है।

  • सवाल: इस बार पायलट जिलाध्यक्ष की नियुक्ति में 'गांधी के गुजरात मॉडल' के अनुसार नियमों की पालना सुनिश्चित कराएँगे, या अपने वीटो पावर का प्रयोग कर नियुक्तियाँ कराने में सफल होंगे, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

प्रमुख दावेदार जो नियमों से बाहर हो सकते हैं: शहर और देहात दोनों में ही अधिकांश दावेदार 50 वर्ष से अधिक आयु के हैं, और कुछ के पास पाँच साल का अनुभव भी नहीं है।

  • शहर के प्रमुख दावेदार: विजय जैन, महेन्द्र सिंह रलावता, डॉ. श्रीगोपाल बाहेती, डॉ. राजकुमार जयपाल, हेमन्त भाटी, कैलाश झालीवाल आदि।

  • देहात के प्रमुख दावेदार: हरिसिंह गुर्जर, महेन्द्र सिंह गुर्जर, रामनारायण गुर्जर के पुत्र सुनील गुर्जर, पूर्व मंत्री नसीम अख्तर, पूर्व मंत्री रघु शर्मा के पुत्र सागर शर्मा आदि।

यदि पार्टी ने आयु में शिथिलता भी दी, तो यह 55-56 वर्ष तक ही सीमित रहेगी, ऐसे में 60 वर्ष से अधिक आयु के कई दावेदार स्वतः ही नियुक्ति की दौड़ से बाहर हो जाएंगे। माना जा रहा है कि अगले माह नवंबर के प्रथम सप्ताह में जिलाध्यक्षों की घोषणा कर दी जाएगी।

Post a Comment

0 Comments