राजस्थान डेयरी सेक्टर पर संकट: मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के प्रस्ताव पर किसानों का विरोध




अजमेर | केंद्र सरकार राजस्थान के डेयरी सहकारिता ढांचे में बदलाव की तैयारी कर रही है। इसके तहत राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन (RCDF) और उससे जुड़े जिला दुग्ध संघों को मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव सोसायटी के मॉडल में शामिल करने का प्रस्ताव है। इस संबंध में केंद्र सरकार ने 2 जुलाई से 21 अगस्त के बीच पांच बार पत्र और रिमाइंडर जारी किए। 27 जुलाई को भेजे गए पत्र में 45 दिन के भीतर एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) मांगा गया, लेकिन अब तक राज्य के किसी भी जिला दुग्ध संघ ने अपनी सहमति नहीं दी है।

राजस्थान के दुग्ध संघ इस प्रस्ताव को सहकारिता ढांचे पर सीधा हमला मान रहे हैं। उनका कहना है कि अगर मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव लागू होता है तो बाहरी संस्थाएं किसानों को मिलने वाले सब्सिडी और लाभ पर कब्जा कर लेंगी। साथ ही दूध के मूल्य निर्धारण पर कॉर्पोरेट दबदबा बढ़ जाएगा, जिससे किसानों को उचित दाम नहीं मिल पाएगा और लाखों दुग्ध उत्पादकों की आजीविका संकट में पड़ जाएगी।

अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने साफ कहा है कि यह प्रस्ताव किसानों के हक और सहकारिता आंदोलन दोनों के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की सहकारी दुग्ध संस्थाओं को किसी भी बाहरी दबाव या कॉर्पोरेट ताकत के हाथों कमजोर नहीं होने दिया जाएगा और हर स्तर पर संघर्ष किया जाएगा।

डेयरी संघों का मानना है कि यदि यह मॉडल लागू होता है तो राजस्थान की सहकारी संस्थाओं की जड़ें कमजोर होंगी और आने वाले समय में डेयरी उद्योग पूरी तरह बाहरी कॉर्पोरेट नियंत्रण में जा सकता है। इसीलिए किसान संगठन और डेयरी संघ इस प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट होकर विरोध की तैयारी कर रहे हैं।


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